- अनुच्छेद 21 में विद्यमान अभिव्यक्ति “विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया” का विस्तार क्षेत्र………………. मामले में स्पष्ट किया गया-
(a) ए० के० गोपालन बनाम मद्रास राज्य
(b) चरनजीत लाल चौधरी बनाम भारत संघ
(c) के० ए० अब्बास बनाम भारत संघ
(d) मेनका गाँधी बनाम भारत संघ
- अनुच्छेद 356 का विस्तार क्षेत्र मामले में स्पष्ट किया गया-
(a) एम० आर० बोम्मई बनाम भारत संघ
(b) शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ
(c) मिनर्वा मिल्स लिमिटेड बनाम भारत संघ
(d) यू० एन० आर० बनाम इन्दिरा गाँधी
- ग्रहण का सिद्धान्त अनुच्छेद. के सम्बन्ध में है-
(क) 105
(ख) 245
(ग) 246
(घ) 13
- संविधान के अनुच्छेद 15 ( 1 ) द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार उपलब्ध है-
(क) किसी व्यक्ति को
(ख) किसी नागरिक को
(ग) किसी निगम को
(घ) इनमें से कोई नहीं
- “सामूहिक उत्तरदायित्व” का सिद्धान्त अनुच्छेद गया है- में समाविष्ट किया
(क) 75
(ख) 74
(ग) 105
(घ) 53
- सिविल सेवकों को संवैधानिक रक्षोपाय अनुच्छेद में दिये गये हैं-
(क) 311
(ख) 300
(ग) 44
(घ) इनमें से कोई नहीं
- धारा 114, साक्ष्य अधिनियम वर्णन करता है-
(क) तथ्यों का ग्राह्यता का
(ख) तथ्यों की सुसंगतता का
(ग) रायों की सुसंगतता का
(घ) विधिक उपधारणाओं का
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होता है-
(क) अधिकरण के समक्ष कार्यवाहियों को
(ख) किसी न्यायालय या अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किये गये शपथ पत्रों को
(ग) मध्यस्थ के समक्ष कार्यवाहियों को
(घ) इनमें से कोई नहीं।
- पुलिस की अभिरक्षा के वक्त की गयी स्वीकृतियाँ हैं –
(क) असुसंगत
(ख) ग्राह्य
(ग) अग्राह्य
(घ) सुसंगत
- विशेषज्ञों की रायें… सुसंगत हैं – अधीन
(क) साक्ष्य अधिनियम की धारा 45
(ख) साक्ष्य अधिनियम की धारा 46
(ग) उपर्युक्त दोनों
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- सूचक प्रश्न सामान्यतया पूछे जा सकते हैं-
(क) मुख्य परीक्षा में में
(ख) पुनर्परीक्षा में
(ग) प्रति-परीक्षा में
(घ) उपर्युक्त सभी
- क, ‘ख’ की हत्या का अभियुक्त है
(ग) गाँव में पुलिस पहुँचने के पहले ‘क’ का भाग जाना
(घ) उपर्युक्त सभी
- साक्ष्य अधिनियम की धारा 9 के अधीन पहचान परीक्षण परेड किसके द्वारा की जानी चाहिए-
(क) मजिस्ट्रेट
(ख) उपनिरीक्षण के अनिम्न श्रेणी का पुलिस अधिकारी
(ग) कोई व्यक्ति
(घ) उपर्युक्त सभी
- निम्नलिखित में से कौन सुसंगत है एवं साक्ष्य में प्राप्त किया जा सकता है?
(क) टेप रिकार्डिंग
(ख) कुत्ते द्वारा खोज
(ग) नार्को विश्लेषण परीक्षण
(घ) उपर्युक्त सभी
- धारा 313, दं० प्र० सं० के अधीन अभियुक्त का कथन शपथ पर अभिलिखित किया जाना है –
(क) उक्त कथन सत्य है
(ख) उक्त कथन मिथ्या है
(ग) उक्त कथन आंशिक रूप से सत्य है
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- धारा 319, दं० प्र० सं० के अधीन अभियुक्त को समन करने के लिए-
(क) धारा 161, दं० प्र० सं० के अधीन कथन सुसंगत है
(ख) विचारण में शपथ पर कथन सुसंगत है
(ग) उपर्युक्त दोनों कथन सुसंगत है
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- विचारण का सामान्यतया स्थान है-
(क) जहाँ अपराध कारित किया गया है
(ख) जहाँ पीड़ित व्यक्ति निवास करता है
(ग) जहाँ अभियुक्त निवास करता है
(घ) जहाँ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गयी है
- दं० प्र० सं० की धारा 161 के अधीन कथन प्रयोग किया जा सकता है-
(क) न्यायालय में कथन को सम्पुष्ट करने के लिए
(ख) न्यायालय में कथन को सम्पुष्ट एवं खण्डन के लिए
(ग) न्यायालय में कथन का खण्डन करने के लिए
(घ) किसी प्रयोजन के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है
- समन किये जाने के पूर्व अभियुक्त को अधिकार प्राप्त है –
(क) कार्यवाही में भाग लेने का
(ख) कार्यवाही में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं
(ग) कभी कोई अधिकार नहीं
(घ) कार्यवाही को देख सकता है, परन्तु भाग नहीं ले सकता है
- मजिस्ट्रेट द्वारा जाँच संचालित की जाती -है-
(क) प्रथम दृष्ट्या मामला प्राप्त करने के लिए
(ख) अभियुक्त को दोषसिद्ध करने के लिए
(ग) अभियुक्त का प्रतिप्रेषण अधिकृत करने के लिए
(घ) धारा 436 के अधीन अभियुक्त को निर्मुक्त करने के लिए
- वारण्ट मामला का तात्पर्य ऐसा मामला है-
(क) जिसमें पुलिस बिना वारण्ट के गिरफ्तारी नहीं कर सकती है
(ख) जिसमें प्रथम बार का न्यायालय अभियुक्त के विरुद्ध गिरफ्तारी का वारण्ट जारी करेगा
(ग) दो वर्ष से अनधिक की अवधि के लिए कारावास से दण्डनीय अपराध से सम्बन्धित
(घ) मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध से सम्बन्धित
- विचारण न्यायालय दं० प्र० सं० की धारा 389 (3) के अधीन दोषसिद्धि के पश्चात् अभियुक्त को जमानत पर कब निर्मुक्त कर सकता है?
(क) .जहाँ अभियुक्त जमानत पर हो एवं कारावास तीन वर्ष से अधिक न हो
(ख) जहाँ अभियुक्त जमानत पर हो एवं कारावास पाँच वर्ष से अधिक न हो
(ग) जहाँ अभियुक्त जमानत पर हो एवं कारावास सात वर्ष से अधिक न हो
(घ) जहाँ अपराध अनन्य रूप से जमानतीय हो, चाहे अभियुक्त जमानत पर हो या न हो
- निम्नलिखित में किसको दाखिल करने की विहित समय परिसीमा अधिनियम की धारा 5 के उपबंधों को लागू करके बढ़ाया या माफ नहीं किया जा सकता-
(क) धारा 115, सि० प्र० सं० के अधीन पुनरीक्षण
(ख) आदेश XXI, सि० प्र० सं० के अधीन निष्पादन के लिए आवेदन
(ग) धारा 96, 100 एवं 104, सि० प्र० सं० के अधीन अपील
(घ) आदेश XXII, सि० प्र० सं०के अधीन प्रतिस्थापन के लिए आवेदन
- वाद संस्थित करने के समय निम्नलिखित प्रावधान में से किसका आश्रय ले करके बढ़ाया जा सकता है?
(क) धारा 151 सि० प्र० सं०
(ख) परिसीमा अधिनियम, 1963 की धारा 5
(ग) धारा 148 सि० प्र० सं०
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- डिक्री के निष्पादन के लिए आवेदन कुछ विलम्ब से अर्थात् परिसीमा की विहित अवधि के पश्चात् दाखिल किया जाता है-
(क) विलम्ब परिसीमा अधिनियम की धारा 5 का आश्रय ले करके माफ किया जा सकता है
(ख) विलम्ब धारा 148, सि० प्र० सं० के अधीन माफ किया जा सकता है
(ग) विलम्ब धारा 151 दं० प्र० सं० के अधीन न्यायालय की अन्तर्निहित शक्तियों के अधीन माफ किया जा सकता है
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- एल० टी० टी० ई० (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम ) नेता, जो श्रीलंकाई सेना द्वारा मारा गया-
(क) पी० प्रभाकरन (ख) एस० प्रभाकरण
(ग) टी० प्रभाकरन (घ) वी० प्रभाकरण
- आई० पी० एल० 2009 आयोजित किया गया है-
(क) दक्षिण अफ्रीका में
(ख) इंग्लैण्ड में
(ग) आस्ट्रेलिया में
(घ) भारत में
- डकैत, जो चित्रकूट जिले में जून, 2009 के मुठभेड़ में मारा गया था-
(क) ददुआ
(ख) मलखान केवट
(ग्र) घनश्याम केवट
(घ) ठोकिया केवट
- भारत का राष्ट्रीय प्रतीक में शब्द “सत्यमेव जयते” निम्नलिखित में कहाँ से अंगीकार किया गया है-
(क) ब्रह्म उपनिषद्
(ख) मुद्गल उपनिषद्
(ग) मैत्रियी उपनिषद्
(घ) मुण्डोपनिषद्
- निम्नलिखित में कौन संसद द्वारा नहीं हटाया जा सकता है?
(क) महान्यायवादी
(ख) महालेखापरीक्षक
(ग) निर्वाचन आयुक्त
(घ) भारत का मुख्य न्यायाधीश
- वित्तीय विधेयक के पुनःस्थापन को कौन
अनुज्ञात करता है?
(क) राष्ट्रपति
(ख) वित्त मंत्री
(ग) प्रधानमंत्री
(घ) लोक सभा अध्यक्ष
- भारत में सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त किया जाता है-
(क) रेलवे से
(ख) सीमा शुल्क से
(ग) विक्रय कर से
(घ) प्रत्यक्ष कर से
- भारतीय रिजर्व बैंक का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
(क) मुम्बई
(ख) दिल्ली
(ग) कोलकाता
(घ) अहमदाबाद
- वर्ष 2008 में ‘भारत रत्न’ पुरस्कार के लिए किसका नाम उद्घोषित किया गया?
(क) पंडित रवि शंकर
(ख) तपन सिन्हा
(ग) एम० एम० सुब्बालक्ष्मी
(घ) पंडित भीम सेन जोशी
- एक वर्ष में एक्वीनाक्स कितनी बार होता है?
(क) एक बार
(ख) दो बार
(ग) तीन बार
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- चन्द्रग्रण कब होता है?
(क) जब चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है
(ख) जब सूर्य चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच में आ जाता है
(ग) जब पृथ्वी चन्द्रमा और सूर्य के बीच आ जाता है
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- चलचित्र “स्लम डॉग मिलिनियन” को कितने आस्कर पुरस्कार मिले?
(क) 9
(ख) 11
(ग) 8
(घ) 10
- अंग्रेज, जो “सती-प्रथा” को समाप्त किया था, –
(क) लार्ड कार्नवालिस
(ख) लार्ड एडविन मान्टेग्यू
(ग) लार्ड माउन्टबेटेन
(घ) लार्ड विलियम बेंटिक
- केरल का शास्त्रीय नृत्य कौन-सा है?
(क) मोहनीअट्टम
(ख) कथक कली
(ग) कुचिपुड़ी
(घ) मणिपुरी
- 11वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि क्या है?
(क) 2005-2010
(ख) 2006-2011
(ग) 2008-2013
(घ) 2007-2012
- हिन्दी शब्द “क्षमता” का अंग्रेजी में सही अनुवाद है-
(क) Capacity
(ख) Ability
(ग) Competency
(घ) Efficiency
- हिन्दी शब्द “पात्रता” का अंग्रेजी में सही अनुवाद है –
(क) Qualified
(ख) Eligibility
(ग) Educated
(घ) Suitability
- हिन्दी शब्द “निर्देश” का अंग्रेजी में सही अनुवाद है –
(क) Order
(ख) Direction
(ग) Intruction
(घ) Guidance
- अंग्रेजी शब्द “approval” का हिन्दी में सही अनुवाद है –
(क) स्वीकृति
(ख) अनुमोदन
(ग) अनुमति
(घ) आदेश
- शब्द ‘fallacy’ का सही अर्थ कौन-सा है-
(क) आद्य कविता
(ख) बंजर खेत
(ग) शुभ का संकेत देने वाली वस्तु
(घ) गलत विचार
- हिन्दी शब्द “निर्भीकता” का अंग्रेजी में सही अनुवाद है –
(क) Bravery
(ख) Courage
(ग) Valour
(घ) Boldness
- हिन्दी शब्द “अस्वीकृति” का अंग्रेजी में सही अनुवाद है –
(क) Dismissal
(ख) Rejection
(ग) Return
(घ) None of the above
- अंग्रेजी शब्द “Estimate” का हिन्दी में सही अनुवाद है-
(क) अनुमान
(ख) प्राक्कलन
(ग) फार्मूला
(घ) ब्यौरा
- अंग्रेजी शब्द “Probable” का हिन्दी में सही अनुवाद है-
(क) सम्भव
(ख) सम्भाव्य
(ग) अनुमानित
(घ) एक मुहावरा
- एक डिक्री के निष्पादन में निष्पादन न्यायालय द्वारा जंगम सम्पत्ति का नीलाम विक्रय द्वारा किया गया है। नीलामी क्रेता 30 दिनों के समाप्ति के पूर्व तब और वही सम्पूर्ण नीलाम मूल्य निक्षिप्त करता है और नीलाम की गयी सम्पत्ति का परिदान लेता है। यह शिकायत करते हुए कि नीलाम तात्विक अनियमितता के साथ किया गया था, आक्षेप नीलामी की तिथि से 30 दिनों के भीतर तात्विक अनियमितता के साथ किया गया था, आक्षेप नीलाम की तिथि से 30 दिनों के भीतर दाखिल किया जाता है। बताइये निम्नलिखित में से कौन एक विधितः सत्य है?
(क) आक्षेप सम्पोषणीय है क्योंकि यह नीलाम के 30 दिनों के भीतर दाखिल किया गया है
(ख) नीलाम विक्रय दूषित है क्योंकि नीलामी सम्पत्ति 30 दिनों के भीतर इसकी सम्पुष्टि के लिए प्रतीक्षा किये बिना परिदत्त की गयी है
(ग) वर्तमान मामले में विक्रय की कोई सम्पुष्टि आवश्यक नहीं है
(घ) उपर्युक्त में से कोई सही नहीं है
- एक लम्बित वाद से उत्पन्न प्रकीर्ण अपील में प्रतिवादी-अपीलार्थी की मृत्यु हो जाती है एवं प्रतिस्थापन के लिए आवेदन दाखिल एवं अनुज्ञात किया जाता है। अपील तत्पश्चात् तीन वर्ष बाद निर्णीत की जाती है। तत्पश्चात् जब वाद ग्रहण किया जाता है, तब प्रतिवादी पक्ष से यह आक्षेप उठाया जाता है कि वाद उपशमित हो गया है क्योंकि उसमें विहित अवधि के भीतर मृतक के उत्तराधिकारियों ने प्रतिस्थापित करने के लिए कोई आवेदन दाखिल नहीं किया है। ऐसे वादी को उपलब्ध विधिक उपचार का सुझाव दीजिए-
(क) वादी विलम्ब की माफी के लिए आवेदन के साथ प्रतिस्थापन के लिए आवेदन कर सकता है
(ख) चूँकि प्रतिवादी की मृत्यु की सूचना विचारण न्यायालय को नहीं दी गयी थी, इसलिए आदेश XXII, नियम 10-क, सि० प्र० सं० का आश्रय लिया जा सकता है
(ग) चूँकि विचारण न्यायालय का अभिलेख अपील में था एवं वादी प्रतिस्थापन आवेदन पहले दाखिल न करने में पर्याप्त कारण से निवारित किया गया था
(घ) प्रकीर्ण अपील में अनुज्ञात किया गया प्रतिस्थापन भी वाद में सुनिश्चित करेगा एवं प्रतिस्थापन के लिए आवेदन आवश्यक नहीं है क्योंकि उत्तराधिकारी अभिलेख पर है।
- क्या निम्नलिखित प्रतिपादन विधितः सही है या नहीं?
“सिद्धान्त जहाँ तक वाद-पत्र के संशोधन से सम्बन्धित है, समान रूप से लिखित कथन के संशोधन को लागू होता है। वाद-पत्र के संशोधन द्वारा कालबाधित अभिवाक् लिखित कथन के मामले में भी उठाया जाना अनुज्ञात नहीं कर सकता है।” निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर बताइये-
(क) सही
(ख) गलत
(ग) आंशिक रूप से सही
(घ) उपर्युक्त में से कोई लागू नहीं है
- निम्नलिखित मामले में से किसमें वाद पत्र उचित न्यायालय में प्रस्तुतीकरण के लिए वापस किये जाने हेतु आदेशित किया जायेगा-
(क) वादी अपना वाद पत्र इस ढंग से विरचित करता है, जो तथ्यों द्वारा प्राधिकृत नहीं है एवं अपने अनुतोष के लिए उस न्यायालय में जाता है, जो उसे मंजूर नहीं कर सकता है।
(ख) वादी प्रादेशिक सीमाओं के सम्बन्ध में गलत न्यायालय का चयन करता है
(ग) वादी आर्थिक सीमाओं के सम्बन्ध में गलत न्यायालय का चयन करता है
(घ) दोनों (ख) एवं (ग)
- निम्नलिखित में से कौन सिविल न्यायालयों की अधिकारिता के अपवर्जन पर महत्वपूर्ण वाद है?
(क) धुलाभाई बनाम मध्य प्रदेश राज्य
(ख) गुण्डाजी बनाम रामचन्द्र
(ग) नूर मोहम्मद खान बनाम फकिरप्पा
(घ) उपर्युक्त सभी
- उस व्यक्ति को, जो गाँव सभा की भूमि को क्षतिग्रस्त किया है, या दुर्विनियोग किया है या अप्राधिकृत रूप से कब्जे में पाया गया है, जो बेदखल करने के लिए नोटिस जारी करने तथा उससे क्षतिपूर्ति वसूल करने के लिए कौन सक्षम प्राधिकारी है?
(क) भूमि प्रबन्धक समिति
(ख) सर्किल का लेखपाल
(ग) सम्बन्धित सहायक कलेक्टर
(घ) कलेक्टर
- वर्तमान में उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 के अधीन धारक के वर्ग हैं-
(क) भूमिधर, सीरदार, अधिवासी एवं असामी
(ख) अन्तरणीय अधिकार वाला भूमिधर एवं अनतरणीय अधिकार वाला भूमिधर
(ग) अन्तरणीय अधिकार वाला भूमिधर, अनन्तरणीय अधिकार वाला भूमिधर, असामी एवं शासकीय पट्टेदार
(घ) अन्तरणीय अधिकार वाला भूमिधर, अनन्तरणीय अधिकार वाला भूमिधर एवं असामी
- निम्नलिखित में से कौन उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराये एवं बेदखली का विनियमन अधिनियम, 1972 के प्रवर्तन से उन्मुक्त हैं?
(क) कोई भवन, जिसका भवन स्वामी सरकार या स्थानीय प्राधिकारी या लोक क्षेत्र निगम या कैंटोमेन्ट बोर्ड हो
(ख) कोई भवन, जो मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से सम्बन्धित हो या में निहित हो
(ग) कोई भवन, जिसका किरायेदार सरकार या स्थानीय प्राधिकारी या लोक क्षेत्र निगम या कैंटोनमेन्ट बोर्ड हो
(घ) कोई भवन जिसका मासिक किराया 2,000 रुपये से अधिक हो।
- निम्नलिखित में से कौन उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराये एवं बेदखली का विनियमन अधिनियम, 1972 की धारा 20 के अधीन बेदखली के लिए वाद संस्थित करने हेतु आधार नहीं है-
(क) यह कि किरायेदार चार माह से अनधिक के लिए किराये का बकायेदार है, और स्वयं पर माँग की नोटिस की तामील की तिथि से एक माह के भीतर भवन स्वामी को उसे संदत्त करने में असफल हो गया है
(ख) यह कि किरायेदार ने भवन स्वामी की लिखित अनुमति के बिना कोई ऐसा निर्माण या भवन में संरचनात्मक परिवर्तन किया है या किये जाने के लिए अनुज्ञात किया है जिससे इसका मूल्य या उपयोगिता कम हो जानी या इसका विरुपित होना सम्भाव्य है
(ग) यह कि किरायेदार ने बिना भवन स्वामी की अनुमति के किराये के स्थान में अपने साथ एक सम्बन्धी को रहने के लिए अनुज्ञात किया है
(घ) यह कि किरायेदार ने भवन के सम्पूर्ण भाग को या किसी भाग को, यथास्थिति, धारा 25 या पूर्व अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन में उप-किराये पर उठा दिया है
- निम्नलिखित में से उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराये एवं बेदखली का विनियमन) अधिनियम, 1972 की धारा 21 के अधीन निर्मुक्त के लिए आधार नहीं है?
(क) यह कि भवन सद्भावपूर्वक या तो वर्तमान रूप में या तो ध्वस्त होने के
पश्चात् एवं भवन स्वामी द्वारा आवासीय प्रयोजन हेतु स्वयं के या उसके परिवार के किसी सदस्य के अधिभोग के लिए नये निर्माण हेतु अपेक्षित है
(ख) यह कि भवन या तो उसके वर्तमान रूप में या तो उसके ध्वस्त होने के पश्चात् एवं भवन स्वामी द्वारा किसी वृत्ति, व्यापार या आजीविका के प्रयोजन हेतु स्वयं उसके या उसके परिवार के किसी सदस्य द्वारा अधिभोग के लिए नये निर्माण हेतु अपेक्षित है
(ग) आवासीय भवन के मामले में वृत्ति के प्रयोजनों हेतु अधिभोग के लिए
(घ) यह कि भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है एवं ध्वस्त किये जाने तथा नवनिर्माण के प्रयोजनों के लिए अपेक्षित है
- नगरपालिका बोर्ड का अध्यक्ष आरोपों पर निम्नलिखित में से किसके द्वारा हटाया जा सकता है?
(क) नगरपालिका बोर्ड के सामान्य बहुमत द्वारा
(ख) उस निर्वाचक मण्डल द्वारा, जो अध्यक्ष को सामान्य बहुमत द्वारा चुनते हैं
(ग) राज्य सरकार द्वारा
(घ) मण्डल आयुक्त द्वारा
- निम्नलिखित में से कौन सी गाँव सभा के प्रधान को हटाने के लिए सही प्रक्रिया है? धारा-14
(क) प्रधान ग्रामीणों के बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है
(ख) प्रधान ग्राम सभा के सदस्यों के बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है
(ग) प्रधान गाँव सभा के उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है
(घ) जिला उप कलेक्टर द्वारा पारित आदेश द्वारा
- उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम, 1953 की धारा 4 की उप-धारा (2) के अधीन अधिसूचना के प्रकाशन पर, कोई भू-धृति धारक किसकी लिखित अनुमति के सिवाय अपनी जोत या उसके किसी
भाग का प्रयोग कृषि, बागवानी या पशु- पालन जिसमें मत्स्य एवं मुर्गी पालन केन्द्र शामिल हैं, से सम्बद्ध हैं, से सम्बद्ध न होने वाले प्रयोजनों के लिये नहीं करेगा-
(क) चकबन्दी अधिकारी
(ख) चकबन्दी उपनिदेशक
(म) चकबन्दी बन्दोबस्त अधिकारी
(घ) चकबन्दी आयुक्त
- उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम, 1953 के अधीन कार्यवाहियों में निम्नलिखित में से कौन-सा प्रावधान लागू नहीं होता है –
(क) भारतीय परिसीमा अधिनियम, 1901 का अध्याय 9 एवं 10
(ख) उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1901 का अध्याय 9 एवं 10
(ग) सिविल प्रक्रिया संहिता का आदेश 21
(घ) भारतीय दण्ड संहिता की धारा 1860
- उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 के अधीन विकास
क्षेत्र में भूमि के विकास के लिए अनुमति मंजूर करने वाला सक्षम प्राधिकारी है –
(क) विकास प्राधिकरण
(ख) विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष
(म) विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष
(घ) राज्य सरकार
- निम्नलिखित में कौन विकास प्राधिकरण द्वारा उद्ग्रहीत नहीं किया जा सकता है?
(क) खारिज-दाखिल प्रभार
(ख) जल-शुल्क
(ग) विकास क्षेत्र में व्यापार या व्यवसाय चलाने का शुल्क
(घ) सुधार प्रभार
- जब आपराधिक कृत्य अनेक व्यक्तियों द्वारा सभी के सामान्य आशय के अग्रसरण में किया जाता है-
(क) ऐसे व्यक्तियों में से प्रत्येक उस कार्य के लिए उसी ढंग से दायी होंगे, मानो यह उनके द्वारा अकेले किया गया था
(ख) ऐसे व्यक्तियों में से प्रत्येक अपने स्वयं के प्रत्यक्ष कार्य के लिए दायी होता है
(ग) ऐसे व्यक्तियों में से प्रत्येक अपराध में अपनी भागीदारी की सीमा के अनुसार दायी होगा
(घ) दोनों (ख) एवं (ग)
- ‘क’ और ‘ख’ ‘ग’ की हत्या करने के लिए जाते हैं। ‘क’ हाथ में भाला के साथ रक्षा करने के लिए खड़ा था परन्तु ‘ग’ पर कोई चोट नहीं किया। ‘ख’, ‘ग’ को मार डाला –
(क) ‘ग’ की हत्या के लिए ‘ख’ दायी है
(ख) ‘क’ और ‘ख’ दोनों ‘ग’ की हत्या के लिए दायी हैं
(ग) ‘क’ दायी नहीं है क्योंकि उसने प्रत्यक्ष कार्य सम्पन्न नहीं किया
(घ) दोनों (क) एवं (ख)
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 76 यह प्रावधान करती है कि कोई बात अपराध नहीं है जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है जो-
(क) उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो या तथ्य की भूल के कारण सद्भावपूर्वक विश्वास करता हो कि वह उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध है
(ख) उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो या विधि की भूल के कारण सद्भावपूर्वक विश्वास करता हो कि वह उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध है
(ग) उसे करने के लिए नैतिकता द्वारा आबद्ध हो या तथ्य की भूल के कारण विश्वास करता हो कि वह उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध है।
(घ) उपर्युक्त सभी
- भा० दं० सं० की कौन सी धारा असंवैधानिक एवं भारत का संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 के उल्लंघन में घोषित की गयी है?
(क) धारा 314
(ग) धारा 303
(ख) धारा 301
(घ) धारा 306
- आपराधिक दायित्व से बचने हेतु मत्तता के बचाव के लिए, मत्तता –
(क) स्वयं दी जा सकती है
(ख) उसकी इच्छा या ज्ञान के बिना दी जा सकती है
(ग) स्वयं नहीं दी जानी चाहिए
(घ) उपर्युक्त सभी
- दो पक्षकारों के बीच स्वतन्त्र लड़ाई के मामले में –
(क) प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार पक्षकारों को उपलब्ध है
(ख) प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार व्यक्तियों को व्यक्ति के विरुद्ध उपलब्ध है
(ग) किसी पक्षकार को प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार उपलब्ध नहीं है
(घ) प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार केवल एक पक्षकार को उपलब्ध है
- भा० दं० सं० की धारा 307 के अधीन अपराध को साबित करने के लिए-
(क) हत्या कारित करने के आशय को साबित किया जाना है
(ख) घोर उपहति कारित करने को साबित किया जाना है
(ग) घातक अस्त्र के प्रयोग को साबित किया जाना है
(घ) वास्तविक क्षति को साबित किया जाना है
- हत्या कारित करने की तैयारी है-
(क) दण्डनीय
(ख) दण्डनीय नहीं
(ग) जुर्माना सहित दण्डनीय
(घ) उपर्युक्त सभी
- डकैती कारित करने की तैयारी है-
(क) दण्डनीय अपराध
(ख) दण्डनीय अपराध नहीं
(ग) कोई अपराध नहीं
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- छल के अपराध के लिए छल करने का आशय विद्यमान होना चाहिए-
(क) अन्त में
(ख) मध्य में
(ग) उपर्युक्त दोनों
(घ) प्रारम्भ से ही
- शब्द “प्रतिरोध” का सही अर्थ कौन है?
(क) चढ़ाई का स्थान
(ख) प्रतिषेध
(ग) आँख का रोग
(घ) किसी जहाज या वाहन पर लदा माल
- भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 2 (i) के अधीन पक्षकारों में से एक या अधिक के, एवं अन्य या अन्यों के नहीं, अनुरोध पर विधि द्वारा प्रवर्तनीय करार कहलाता है-
(क) वैध संविदा
(ख) अवैध संविदा
(ग) शून्य संविदा
(घ) शून्यकरणीय संविदा
- भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 68 के अधीन अवयस्क को दी गयी जीवन की आवश्यकताओं के लिए दावा-
(क) अप्रवर्तित नहीं कराया जा सकता है
(ख) अवयस्क के विरुद्ध वयस्कता प्राप्त करने पर वैयक्तिक रूप से प्रवर्तित कराया जा सकता है
(म) अवयस्क की सम्पत्ति या सम्पदा के विरुद्ध प्रवर्तित कराया जा सकता है
(घ) अवयस्क के संरक्षक, यदि कोई हो, के विरुद्ध प्रवर्तित हो सकती है
- भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 की धारा 2 (क) के अर्थ के भीतर “फर्म का कार्य” कहा जाने वाला कार्य है-
(क) भागीदारों का प्रत्येक कार्य
(ख) केवल ऐसे कार्य, जो फर्म द्वारा या के विरुद्ध प्रवर्तनीय अधिकार उत्पन्न करते हैं
(ग) ऐसे कार्य, जो फर्म द्वारा या के विरुद्ध प्रवर्तनीय अधिकार को उत्पन्न नहीं करते हैं
(घ) या तो (क) या तो (ख) या तो (ग)
80. निम्नलिखित में कौन वैध भागीदारी है?
(क) दो भागीदारी फर्म के बीच भागीदारी
(ख) एक भागीदारी फर्म और व्यक्ति के बीच भागीदारी
(ग) एक फर्म के वैयक्तिक सदस्यों और एक अन्य फर्म के वैयक्तिक सदस्यों के बीच भागीदारी
(घ) न तो (क), न तो (ख), न तो (ग)
- सुखाधिकार अधिकार है –
(क) लोकबंधी
(ख) व्यक्तिबंधी
(ग) न तो (क), न तो (ख)
(घ) सामान्य रूप में लोकबंधी परन्तु अपवादजनक मामलों में व्यक्तिबंधी
- अपकृत्यपूर्ण दायित्व के लिए अधिनिर्णीत क्षतियाँ हैं-
(क) परिनिर्धारित
(ख) अपरिनिर्धारित
(ग) दाण्डिक
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- बोले गये शब्दों या संकेतों द्वारा अवमान हैं-
(क) वक्रोक्ति
(ख) अपमान वचन
(ग) अपमान लेख
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- सिद्धान्त “तथ्य स्वयं बोलते हैं” सूत्र…. द्वारा अभिव्यक्त किया गया है –
(क) Ubi jus ibi remedian
(ख) Res Ipsa Loquitur
(ग) Novus Actus Interveniens
(घ) Cause Causans
- अपकृत्य विधि में अपने सेवक के कार्य के लिये स्वामी का दायित्व कहा जाता है-
(क) पूर्ण दायित्व
(ख) अपकृत्यपूर्ण दायित्व
(म) प्रतिनिधिक दायित्व
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- आपको सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम की उस विशेष धारा को पहचानना है जिससे निम्नलिखित उद्धरण सम्बन्धित है : “जहाँ अनुज्ञप्तिदाता ऐसी भूमि में हित की अनुज्ञप्ति के लिए तात्पर्यत हुआ हो, जो उस समय धारित नहीं करता था, परन्तु तत्पश्चात् अर्जित करता है, उसके पश्चात्वर्ती अर्जन का लाभ स्वतः उसके पूर्ववर्ती अनुज्ञप्तिधारी को या जैसे यह सामान्य रूप में अभिव्यक्त किया जाये, विबन्धन की पूर्ति करता है, जाता है।”
(क) धारा 40
(ख) धारा 41
(ग) धारा 42
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम, 1882 की धारा 53-क वर्णन करती है-
(क) कपटपूर्ण अन्तरण
(ख) दृश्यमान स्वामी द्वारा अन्तरण का
(ग) भागिक पालन का
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- पट्टे का निर्धारण सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम, 1882 के अधीन वर्णित किया गया है-
(क) धारा 108 में
(ख) धारा 107 में
(ग) धारा 113 में
(घ) धारा 111 में
- पट्टे का निर्धारण सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम, 1882 की धारा 52 वाद की लम्बितता के दौरान अन्तरण पर अन्यथा किसी सम्पत्ति से व्यवहार पर प्रतिषेध अधिरोपित करती है, परन्तु धारा में अधिकथित शर्तों की संतुष्टि हो गयी हो। कथन है-
(क) गलत
(ख) सही
(ग) आंशिक रूप से सही
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम, 1882 “विक्रय” की परिभाषा धारा में निहित है-
(क) 105
(ख) 100
(ग) 54
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- पट्टा की अवधि के समाप्ति पर स्थावर सम्पत्ति में पट्टेदार की स्थिति क्या होगी, यदि वह कब्जे में सतत् रूप से
रहता है?
(क) अप्राधिकृत अधिभोगी
(ख) अतिधारण का अभिधारी
(ग) मौन सम्पत्ति का अभिधारी
(घ) अनुज्ञप्तिधारी
- निम्नलिखित में से कौन स्थावर सम्पत्ति के वैध दान के लिए शर्त नहीं है?
(क) दाता की ओर से हस्ताक्षरित पंजीकृत लिखत
(ख) प्रतिफल
(ग) कम से कम दो साक्षियों द्वारा अनुप्रमाणन
(घ) दाता के जीवन काल के दौरान आदाता द्वारा दान की स्वीकृति
- क, अलीगढ़ स्थित घर का स्वामी अपने घर की देख-भाल करने के लिए ‘ख’ को कार्यवाहक के रूप में नियुक्त करने के पश्चात् वर्ष 1970 में अलीगढ़ छोड़ा। ख, ‘क’ की जानकारी से उक्त घर में रहना प्रारम्भ करता है। ‘क’ प्रश्नास्पद घर के कब्जे के परिदान के लिए ‘ख’ के विरुद्ध वर्ष 2005 में कार्रवाई प्रारम्भ करता है। ‘ख’ यह अभिवाक् लेता है कि (1) वाद कालबाधित है एवं (2) उसने प्रतिकूल कब्जे द्वारा हक पूर्ण कर लिया है। बताइये क्या-
(क) वाद काल बाधित है
(ख) ख प्रतिकूल कब्जे द्वारा अपना हक पूर्ण कर लिया है
(ग) ख दोनों अभिवाकों (1) एवं (2) पर उत्तराधिकार प्राप्त करने के लिए हकदार है
(घ) उपुर्यक्त दोनों अभिवाकों में से कोई मान्य नहीं है
- दो हिन्दुओं के बीच विवाह सम्पन्न हो सकता है यदि –
(क) वर 21 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेता है तथा वधू 18 की आयु पूर्ण कर लेती है
(ख) वर 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेता है तथा वधू 21 की आयु पूर्ण कर लेती है
(ग) वर 21 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेता है तथा वधू 21 की आयु पूर्ण कर लेती है
(घ) वर 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेता है तथा वधू 18 की आयु पूर्ण कर लेती है
- हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955
(क) विवाह के अनुष्ठापन के लिए अपेक्षित संस्कारों को विहित नहीं करता है परन्तु इसे संस्कारात्मक विवाह के रूप को चुनने के लिए, जो किसी पक्षकार को लागू होने वाली किसी प्रथा या चलन के अनुसार हो, पक्षकारों पर छोड़ देता है
(ख) अपेक्षित संस्कारों को विहित नहीं करता है, न तो इसे चुनने के लिए पक्षकारों पर छोड़ता है
(ग) संस्कारों को विहित करता है एवं इसे चुनने के लिए पक्षकारों पर नहीं छोड़ता है
(घ) संस्कारों को विहित करता है एवं उसी समय इसे चुनने के लिये पक्षकारों पर छोड़ देता है
- हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 16 बच्चों को धर्मजता प्रदत्त करती है-
(क) शून्य विवाह
(ख) शून्यकरणीय विवाह
(ग) वैध विवाह
(घ) दोनों शून्य एवं शून्यकरणीय विवाह
- तलाक प्रभावी हो सकता है-
(क) मौखिक रूप से बोले गये शब्दों द्वारा
(ख) लिखित में
(ग) केवल (क) एवं (ख) नहीं
(घ) या तो (क), या तो (ख)
- वैध मुस्लिम विवाह के लिए-
(क) प्रस्ताव एवं स्वीकृति उसी समय होनी चाहिए
(ख) प्रस्ताव एवं स्वीकृति उसी स्थान पर होनी चाहिए
(म) प्रस्ताव एवं स्वीकृति उसी समय एवं स्थान पर होनी चाहिए
(घ) प्रस्ताव एवं स्वीकृति भिन्न समयों पर एवं भिन्न स्थानों पर हो सकती है
99. एक मुस्लिम अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है –
(क) बिना कोई कारण बताये, जब कभी वह ऐसा चाहता है
(ख) जब कभी वह ऐसा चाहता है, परन्तु केवल कारण के साथ
(ग) बिना कोई कारण बताये, जब कभी वह ऐसा चाहता है परन्तु केवल पत्नी की उपस्थिति में
(घ) या तो (ख), या तो (ग)
- भारत का संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा के प्रवर्तन के दौरान गारण्टीकृत मौलिक अधिकारों के सिवाय, मौलिक अधिकारों का प्रवर्तन निलम्बित किया जा सकता है –
(क) 14 एवं 19
(ख) 15 एवं 21-क
(ग) 20 एवं 21
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं