प्रशासनिक विधि के विकास के लिए मूल कारक राज्य की अवधारणा में परिवर्तन ही रहा है पहले राज्य की अवधारणा अहस्तक्षेप की नीति में थी जिसमें राज्य के कार्य एवं आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने एवं राज्य को बाय आक्रमण से बचाने रखने तक है सीमित थे। परंतु आगे चलकर राज्य की अवधारणा कल्याणकारी राज्य के हुई जिसमें राज्य व्यक्तियों के कल्याण के बारे में भी सोचने लगा जिस उद्देश्य के लिए राज्य को विभिन्न प्रशासनिक अधिकारों में अधिकारियों की नियुक्ति करने पड़े जिसका स्वभाव प्रणाम हुआ प्रशासन एवं व्यक्तियों के हितों के बीच टकराव जिस टकराव को दूर करने के लिए जो विधि विकसित हुई वही प्रशासनिक विधि
प्रशासनिक विधि राष्ट्र की विधि प्रणाली की उस भाग से संबंधित है जो सभी राज्य पदाधिकारियों की विधिक प्रस्थिति और दायित्व अवधारित करती है, जो प्राइवेट व्यक्तियों के अधिकारों और दायित्वों को लोक पदाधिकारियों के साथ व्यवहार करने पर परिनिश्चित करती है, और जो प्रक्रिया विनिर्दिष्ट करती है जिसके द्वारा उन अधिकारो और दायित्वों को प्रवर्तित किया जा सकता है